Sunday, November 20, 2011

रह गया जो अपूर्ण सा स्वप्न मेरा Rah gaya jo apurn sa swapn mera


Hemant Chauhan

Hindi Kavita



रह गया जो अपूर्ण सा स्वप्न मेरा,
वो तो पूरा अब भी ना हुआ !
जीवन की अंधकारी राहों मे,
किसी सूरज का उजाला भी ना हुआ !
दुख से पीड़ित सा आहत मन,
बस कहता रहता मुझसे  मेरा !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!

याद रखा मैने बस उसको,
बाकी सारी दुनिया भुला दी !
मेरी यादें निकाल कर दिल से,
अपने दिल के बाहर उसने सुला दी !
क्या था मेरे दिल के अंदर,
इसका तो उसको अहसास भी ना हुआ !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!

मैने उसको अपने दिल मे बिठाया,
मगर उसने रखा मुझको बाहर !
उससे मिलने की खातिर खुद को,
मैने निकाला सूनी राहों पर बाहर !
इस समाज की बंधित सी मंज़िल का,
रास्ता तो पूरा अब भी ना हुआ !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!

जो उठाया था फल मैने खाने को,
उसको तो अब तक खा ना सका !
भुला दिया खुद को जिसकी खातिर,
वो ही मुझको याद रख ना सका !
तलास लिया उसने अब एक साथी,
मगर वो मेरा साथी कभी ना हुआ !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!

===हेमन्त चौहान===

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