Thursday, November 10, 2011

मैने उसको चाहा दिल से , maine usko chaha dil se


Hemant Chauhan

Hindi Kavita



मैने उसको चाहा दिल से ,
मेरे दिल को वो जान ना पाई !
मैने खुद को उसका बनाया ,
फिर भी मेरी वो बन ना पाई !
उसने मुझको अपनाकर भी ,
बेगाना ही तो बना दिया !
पहले मुझको वो जान ना पाई ,
अब मुझको पहचान ना पाई !!

जो पल मेरे साथ बिताए ,
उन पलों को भी उसने भुला दिया !
मुझ को ना पहचानकर उसने ,
मेरे दिल को भी रुला दिया !
मैं जब उससे मिलने पहुँचा ,
वो बोली, तुम कौन हो भाई !
पहले मुझको वो जान ना पाई ,
अब मुझको पहचान ना पाई !!

जिसकी खातिर मैने पहले ,
खुद के जीवन को लुटा दिया !
उसने तो मुझको भी अब ,
अपने जीवन से ही हटा दिया !
अपना जीवन उसको सौपा ,
मगर साँसें मेरी वो ले जा ना पाई !
पहले मुझको वो जान ना पाई ,
अब मुझको पहचान ना पाई !!

जो थी पहले साथ में मेरे ,
अब मेरी वो तकदीर में नही !
कुछ खुशियाँ जो मेरी थी ,
अब तो वो मेरे घर में नही !
समझ कर मुझको केवल पागल ,
उसको मेरी चाहत ना भाई !
पहले मुझको वो जान ना पाई ,
अब मुझको पहचान ना पाई !!

उसने मुझको देखा था तो ,
मगर निकल गयी अनदेखा करके !
चलती थी कभी साथ में मेरे ,
वो आगे बढ़ गयी बीच मे रेखा करके !
उस पर जहाँ की चाहत लुटा दी ,
वो मेरी चाहत समझ ना पाई !
पहले मुझको वो जान ना पाई ,
अब मुझको पहचान ना पाई !!


=== हेमन्त चौहान ===

No comments:

Post a Comment