Wednesday, November 9, 2011

मेरी आँखों से मेरे आंशू, Meri ankhon me mere anshu


Hemant Chauhan

Hindi Kavita



मेरी आँखों से मेरे आंशू,
मोती बनकर ही छलकते!
मेरे दर्द के आंशू भी तो ,
उसको तो पानी ही लगते!
क्या दर्द छुपा हुआ है ,
मेरे दिल के किसी कोने में!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!

मेरे दिल के दर्द को तो ,
वो भी कैसे समझ पाती!
मेरे बहते हुए आंशुओं को ही ,
ना वो कभी समझ पाती!
काश मेरे अंशू भी कभी ,
मेरे दर्द को उसे समझा सकते!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!


उसको तो लगा ये शायद ,
मैं नही चाहता उसको!
कोई भी ना सिवा इसके ,
चाह सके मेरा दिल जिसको!
काश मेरे आंशू ही ,
मेरे दर्द को दिल से बहा सकते!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!


मेरी ना शायद पहचान कोई ,
मेरे ना अब अरमान कोई!
उसको लगने लगा शायद ,
मेरा ना अब ईमान कोई!
मेरे आंशू दर्द है मेरा मगर ,
उसकी खुशियों को बहा नही सकते!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!


===हेमन्त चौहान===

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