Thursday, November 24, 2011

जिसको कदर ना मेरे दिल की, Jisko kadar na mere dil ki


Hemant Chauhan

Hindi Kavita



जिसको कदर ना मेरे दिल की ,
मेरे साथ वो रहेगी कैसे !
जिसको पसंद ना हो मेरा आँगन ,
वो मेरे घर में रहेगी कैसे !
पसंद नापसंद की इस भँवर मे ,
खुद ही डूबता चला गया मैं !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे  !1!

समाज की बंधित सी राहों पर ,
चलकर पहुँचा मैं उससे मिलने !
मुझको गैर समझ कर वो ,
ना बाहर आई मुझसे मिलने !
जिसने मेरी चाहत ना समझी ,
वो किसी को समझेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे  !2!

पकड़ कर हाथ को मेरे पहले ,
बीच राह मे उसने छोड़ दिया !
पहले आँखों मे झाँककर मेरे ,
फिर अपना मुँह मोड़ लिया !
उसने मेरे ईमान को ना जाना  ,
तो किसी को भला पहचानेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे  !3!

पहले साथ में रहकर मेरे ,
मुझको  बाँहों में अपनी भर लिया !
अपनी छल भारी चाहत से ,
मुझको अपना ही कर लिया !
जिसकी चाहत में छल भरा हो ,
वो किसी को चाहेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !4!

पहले उसने कहा मुझसे ये ,
तुमने ही चाहा केवल मुझको !
मेरी चाहत की उसने की तुलना ,
कौन चाहता है ज़्यादा उसको !
जो चाहत की तुलना करती हो ,
वो किसी से वफ़ा करेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !5!

उसकी महत्वाकांक्षाए केवल ,
अपनी ही खुशियाँ पाने की !
उसको अपनी हसी से मतलब ,
ना परवाह किसी का दिल टूट जाने की !
जो दिलों को तोड़कर खुशी मनाए,
वो किसी से प्यार करेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !6!

जन्नत ना मिले भले किसी को ,
सोहरत ना मिले भले किसी को !
मिल जाएँ सारे दुख जहाँ के ,
मगर बेवफा ना मिले किसी को !
जो वफ़ा को ही ना पहचानती हो ,
वो किसी से वफ़ा करेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !7!

जो अपनी छल की चाहत से ,
किसी की निश्च्छलता को छलती हो !
जो दिलों को राह मे फेंक कर ,
उन पर पैर रख कर ही चलती हो !
जिसको ना हो कदर दिलों की ,
वो किसी को दिल में बसाएगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !8!

पहले पास में बैठ कर मेरे ,
अपनी जुल्फ़ो की छाँव मे सुला दिया !
जब मिल गया उसको दूसरा साथी ,
तो उसने मुझको भुला दिया !
जो सोता हुआ ही छोड़ जाए ,
वो किसी का साथ निभाएगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !9!

जो जनम जनम की कसमें खाकर ,
भुला दे अपने वादों को !
जो दिल को ठोकर मारकर ही ,
पूरा करती हो अपने इरादों को !
जो अपना कहकर छोड़ चले ,
भला वो किसी की बनेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !10!

पहले उसने मेरी चाहत देखी ,
फिर उसने उसको तोल दिया !
मेरी निश्च्छल चाहत का ,
बाजार मे भी उसने मोल किया !
जो चाहत की भी तुलना करती हो ,
वो किसी से प्रेम करेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !11!

उसको अच्छी लगी किसी की ,
चाहत मेरी चाहत से ज़्यादा !
उसके साथ वो चली गयी ,
तोड़कर किया हुआ मुझसे वादा !
जिसने मेरी चाहत को तोला  ,
वो किसी की चाहत को समझेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !12!

मैं रोता रहा अकेला ही ,
बिछड़ कर तन्हाई में जिसकी !
मेरे आँसुओं को पानी कहकर ,
उसने उड़ाई मेरी खुसकी !
जिसने मेरे आंशू ना पहचाने ,
वो किसी को भला पहचानेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !13!

अपनी खुशियों को साथ मे लेकर ,
इठलाती और इतराती वो !
नज़र फेर कर अब तो मुझसे ,
चुपके से ही निकल जाती वो !
जिसने मुझको धोखा दिया  ,
वो मुझसे नज़र मिलाएगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !14!

एक दिन अंबर से बूँदों की ,
गिरती हुई बौछार सी देखी !
सहसा लौट आई एक दिन वो ,
अपने पास मैने  खड़ी देखी !
मेरा दिल  उसने पहले ही तोड़ा ,
टूटे दिल को दोबारा तोड़ेगी कैसे
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !15!

इस बार भी तो उसने मुझको ,
बहकना चाहा अपनी बातों से !
मगर मैं था सचेत पहले से ,
पिछली बीती हुई बातों से !
जिसने एक बार दिया हो धोखा  ,
वो दोबारा बफा करेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !16!

उसने मुझको विस्वास दिलाना चाहा ,
बफा का नाटक करते करते !
उसकी छल भारी बातें लगती ,
जैसे फूल हैं मुँह से उसके झड़ते !
जिसने बोला हो झूंठ हमेशा ,
भला अब वो सच बोलेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !17!

मेरा प्यार मोहताज कभी नही ,
किसी और की चाहत का !
मेरा जीवन मोहताज नही ,
किसी की दी हुई राहत का !
जिसने मुझे सच्चा ना माना हो ,
वो किसी को सच्चा मानेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !18!

केवल उसने रिस्ते जोड़े ,
झूठी चाहत के आधार पर ही !
उसको कभी भी ना भरोसा हुआ ,
मेरे निश्च्छल से प्यार पर भी  !
जिसके मन में मैल भरा हो ,
वो किसी से सच बोलेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !19!

उसने छल भारी चाहत से ,
मेरा निर्मल मन तोड़ा !
बेवफ़ाई का दर्द कुछ ऐसा ,
आँखों ने सपने देखना छोड़ा !
आँखों से सपने तो छीन लिए ,
मगर नज़रों को छीनेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !20!

दूर दूर तक जाकर देखा ,
हर जगह नज़रें दौड़कर देखा !
जाकर पास में उसके मैने ,
लबों का जाम पीकर देखा !
जो सपने दिखाकर भूल जाए ,
वो सपनों को साकार करेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !21!

पहले आगोश का शह्द पिलाकर ,
तन्हाई का जहर पीला दिया !
पहले खुशियों की राह दिखाकर ,
गमों की भीड़ से मिला दिया !
जिसने दिए गम ही मुझको ,
वो किसी को खुशियाँ देगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !22!

छोड़कर अपनी निज खुशियों को ,
खुशियाँ ही दी मैने उसको
मैने तो याद रखा उसको ,
मगर भुला दिया उसने मुझको !
जिसने मुझको ही भुला दिया ,
वो किसी को याद रखेगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !23!

ना बचा अब कुछ भी साबित ,
मेरा दिल भी अब टूट लिया !
अपने आगोश का नशा कराकर ,
मेरे दिल को भी लूट लिया !
बस लूटना हो जिसका मकसद ,
वो किसी को कुछ देगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !24!

उसका दिल इतना निष्ठुर ,
अंशुओं को भी ना पहचानती वो !
जिसने पहचान दी उसको ,
उसको भी ना पहचानती वो !
जिसको खोट दिखा मेरे साथ में ,
वो किसी से रिस्ता निभाएगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !25!

अपना सब कुछ भूलकर भी ,
अपनी दुनियाँ बनाया मैने जिसको !
अपना सारा जीवन सौंपकर भी ,
अपना जीवन मैने माना उसको !
जो भरोसा देकर धोखा दे दे ,
वो किसी को जीवन में बसाएगी कैसे !
जिसको मेरा साथ ना भाया हो ,
वो किसी के साथ रहेगी कैसे !26!



===हेमन्त चौहान===
 

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