Hemant Chauhan
Hindi Kavita
रह गया जो अपूर्ण सा स्वप्न मेरा,
वो तो पूरा अब भी ना हुआ !
जीवन की अंधकारी राहों मे,
किसी सूरज का उजाला भी ना हुआ !
दुख से पीड़ित सा आहत मन,
बस कहता रहता मुझसे मेरा !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!
याद रखा मैने बस उसको,
बाकी सारी दुनिया भुला दी !
मेरी यादें निकाल कर दिल से,
अपने दिल के बाहर उसने सुला दी !
क्या था मेरे दिल के अंदर,
इसका तो उसको अहसास भी ना हुआ !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!
मैने उसको अपने दिल मे बिठाया,
मगर उसने रखा मुझको बाहर !
उससे मिलने की खातिर खुद को,
मैने निकाला सूनी राहों पर बाहर !
इस समाज की बंधित सी मंज़िल का,
रास्ता तो पूरा अब भी ना हुआ !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!
जो उठाया था फल मैने खाने को,
उसको तो अब तक खा ना सका !
भुला दिया खुद को जिसकी खातिर,
वो ही मुझको याद रख ना सका !
तलास लिया उसने अब एक साथी,
मगर वो मेरा साथी कभी ना हुआ !
वो तो मेरा जब भी ना हुआ,
वो तो मेरा अब भी ना हुआ !!
===हेमन्त चौहान===
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