Tuesday, February 28, 2012

hemant chauhan poem

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Wednesday, February 8, 2012

जिन राहों पर बढ़े हों वीर अनेक, Jin rahon par badhe hon veer anek


जिन राहों पर बढ़े हों वीर अनेक,
उन राहों को मैं भी अपनाता हूँ !
जिस गीत में गुणगान वीरों का हो,
उस गीत को मैं भी गाता हूँ !
देश की खातिर मर मिटना भी,
हर गौरव से उँचा गौरव है !
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !१!

निजता की भावना छोड़कर पीछे ,
देश की खातिर बलिदान दिया !
अपने शीश कटाकर भी जिन्होने ,
देश का ना झुकने मान दिया !
ऐसे वीरों की गाथा को तो मैं ,
सभी को खुद ही सुनाता हूँ !
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !२!

शहीदों के संम्मान की खातिर ,
कभी कमी कोई रहने ना पाए !
सरकारें भले ही भूल भी जाएँ ,
मगर कोई हिन्दुस्तानी भूल ना पाए !
जो भूल गयीं है शहादत शहीदों की ,
उन सरकारों को ही धिक्कारता हूँ !
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !३!

शहीदों की शहादत से ही तो ,
आज सभी हम सुरक्षित हैं !
शहीदों की खातिर स्वतंत्र हुए ,
और स्वतंत्रता में ही हम रक्षित हैं !
जहाँ गिरा है लहू शहीदों का ,
उस स्थान को मैं पवित्र समझता हूँ !
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !४!

हर शहीद की समाधि को भी ,
अब पूजा घर ही बनाना है !
शहीदों के सम्मान की खातिर ,
हम सभी को शीश झुकाना है !
शीश झुकता जिसका देश की खातिर ,
उस शीश को मैं शीश झुकाता हू!
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !५!

जो देश के सम्मान की खातिर ,
अपना शीश भी कटा देते !
अपने देश के हर दुश्मन को ,
शीश काटकर भी हटा देते !
उन वीरों के सम्मान में हमेशा ,
मैं अपना शीश नबाता हूँ !
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !६!

दुर्गमता की उँचाई पर जो ,
असंभव को भी संभव बना देते !
जो देश की रक्षा की खातिर ,
अपने परिवारों को भी भुला देते !
ऐसे देश के वीर सपूतों के तो
परिवार को भी मैं गले लगाता हूँ !
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !७!

देश की खातिर जो प्राण देते ,
मरकर भी अमर ही रहते वो !
देश के हितों की खातिर ही ,
अपने हितों को भी छोड़ देते जो !
ऐसे वीरों के नाम को लिखकर ,
उस नाम को मैं शीश झुकाता हूँ !
जिन्होने किए मात्रभूमि पर प्राण कुर्बान,
उन शहीदों को मैं शीश झुकाता हूँ !८!


   ===हेमन्त चौहान===