Hemant Chauhan
Hindi Kavita
मेरी आँखों से मेरे आंशू,
मोती बनकर ही छलकते!
मेरे दर्द के आंशू भी तो ,
उसको तो पानी ही लगते!
क्या दर्द छुपा हुआ है ,
मेरे दिल के किसी कोने में!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!
मेरे दिल के दर्द को तो ,
वो भी कैसे समझ पाती!
मेरे बहते हुए आंशुओं को ही ,
ना वो कभी समझ पाती!
काश मेरे अंशू भी कभी ,
मेरे दर्द को उसे समझा सकते!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!
उसको तो लगा ये शायद ,
मैं नही चाहता उसको!
कोई भी ना सिवा इसके ,
चाह सके मेरा दिल जिसको!
काश मेरे आंशू ही ,
मेरे दर्द को दिल से बहा सकते!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!
मेरी ना शायद पहचान कोई ,
मेरे ना अब अरमान कोई!
उसको लगने लगा शायद ,
मेरा ना अब ईमान कोई!
मेरे आंशू दर्द है मेरा मगर ,
उसकी खुशियों को बहा नही सकते!
काश मेरे आंशू भी कभी ,
ज़ुबान से भी कह सकते!!
===हेमन्त चौहान===
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