अरमान तले ही जीवन के, बसे हुए हैं भाव मेरे मैं ही जानू कैसे रहते, दबे हुए जज़्बात मेरे यादों में उसकी रातों को, मैं तो लेटा रहता हूँ पर बन मोती बह जाते हैं,छुपे हुए जज़्बात मेरे आकर कहता कोई मुझसे, क्या सोचे तुम रहते हो बात किसी से ना हीं करते, चुप चुप से क्यों रहते हो मन से अपने कोई बातें, क्या करते तुम रहते हो बतला दो कुछ हमको भी जो, दिल में छुपाए रहते हो बतलाया है उसको मैंने, यह पहचान छुपा ली है सोचूँ उसके बारे में जो , बनता जीवन गाली है उसके जाते लगता मुझको, मेरा जीवन खाली है झूँठ मूट का प्यार बना हैं, रिश्ता नाता जाली है चुपके बैठे रहता हूँ तो, घावें भर से जाते हैं मन में चुभते रहते हैं जो, थोड़े मिट से जाते हैं यादें उसकी ताजा होते, दिल में चुभते जाते हैं यादों का जो साथ मिले तो, पल सारे कट जाते हैं ©---------------------------- हेमन्त चौहान |