Wednesday, January 4, 2012

मुझे पता है मेरा मकसद , Mujhe Pata hai mera maksad


Hemant Chauhan

Hindi Kavita



मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !
क्या छोड़ना है पीछे मुझको ,
क्या मुझको पाना है !
दिल में छुपे हैं कुछ अरमान ,
और सोच रखा है मैने ये !
मुझको तेरा ही बनना है ,
और तुझको अपना बनाना है !१!

मैं मिला हूँ जब  से तुझसे ,
तब से तुझमें ही खो गया !
थका हूँ जब भी चलते चलते ,
तेरी गोद में ही सो गया !
सोकर तेरी ज़ुल्फोन की छांव में ,
अपनेपन को जाना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !२!

तुझको अपने दिल में बसाकर ,
तुझको अपनी पहचान बनाकर !
मुझको भी तो सुकून मिलता ,
अपनेआप को तेरा बताकर !
मैने तुझको जब से देखा ,
तुझे ही अपना जीवन माना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !३!

तेरी चाहत की चाहत तो ,
मेरे दिल में हमेशा रहती !
तू तो मेरी धड़कन है ,
जो मेरे दिल में बस कर धड़कती !
तेरी बाहों में समाकर ही तो ,
जीवन के सार को जाना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !४!

तेरे साथ की अनुभूति तो ,
किसी जन्नत से कम नही !
तेरे आने से खुशियाँ आईं ,
अब जीवन मे कोई गम नहीं !
तेरे साथ मिलकर ही तो ,
जीवन की रहो पर बढ़ते जाना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है!५!

जिंदगी की अभिलाशाओं में ,
तू ही तो पहली आशा !
तू ना कभी रूठना मुझसे ,
वरना नही रहेगी जीवन की आशा !
तेरे बिन जीना मुश्किल ,
हर पल तेरे साथ बिताना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है!६!

अनदेखा था जो सपना मेरा ,
उसको भी देख लिया मैने !
जब से मिली है तू मुझको ,
संपूर्णता को पा लिया मैनें !
सुन रहा हू उस मीठे सुर को ,
छेड़ा जीवन का जो तराना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है!७!

उसका नशा बरकरार है अब तक ,
तेरे लबों का जाम जो पीया है !
मर भी गया तो गम नहीं ,
मैने पलों में शादियों को जीया है !
जीना नहीं मेरा मकसद ,
मकसद तो तेरा साथ निभाना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !८!

तेरी आँखों मे झँकता हूँ जब ,
खुद को उनमें पता हूँ !
जब बाहों मे भरता हूँ तुझको ,
तुझमे ही समा जाता हूँ !
लेकर आगोश में अपने तुझको ,
हमेशा को पिघल जाना हैं !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !९!

मेरे दिल में जो तेरी चाहत ,
कौन तोल सकता भला इसको !
करेगा केवल वो ही हिम्मत ,
चाहत की गहराई ना पता जिसको !
चाहत दिखना नही मेरा मकसद ,
बस चाहत को तुझपर लुटाना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !१०!

केवल इस जनम में ही नही ,
हर जनम तेरे साथ जीऊँगा मैं !
तुझे आगोश लेकर हमेशा ,
तेरे लबों का जाम पीऊंगा मैं !
तुझको अपने साथ में लेकर ,
जीवन का हर कदम बढ़ाना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !११!

तू ही तो जीवन है मेरा ,
तू ही मेरे जीवन की छाया है !
हर खुशी घर में है मेरे ,
जब से मैने तुझको पाया है !
जी रहा हूँ साथ में तेरे ,
मुझको तेरे साथ ही मारना है !
मुझे पता है मेरा मकसद ,
कहाँ तक मुझको जाना है !१२!



  ===हेमन्त चौहान===

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