Sunday, January 1, 2012

अब तक उसको ढूंड रहा हूँ , Ab tak usko dund raha hun


Hemant Chauhan

Hindi Kavita



अब तक उसको ढूंड रहा हूँ ,
कैसे मिलेगी वो कहाँ पर जाकर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !!

ना जाने क्यों बेगाना कर गयी ,
हर रिश्ता वो मुझसे निभाकर !
पूर्ण होकर भी अपूर्ण रह गया ,
कुछ पलों का उसका साथ पाकर !
खुद ही चलना जैसे भूल गया ,
औरो को  राहों पर चलाकर !
जैसे प्यासा ही लौट आया हूँ ,
मैं पानी के दरिया तक जाकर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !!

चुभता रहता कुछ हरपल हरदम ,
जैसे काँटों की सैया पर सोया हूँ !
जबसे मैं बिछड़ा हूँ उससे ,
दिल के आँसुओं से रोया हूँ !
तन्हाई की वो फसल काट रहा ,
जिस का बीज खुद ही बोया हूँ !
सब कुछ जैसे खो दिया मैने ,
अपने जीवन में सब कुछ पाकर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !!

उपलब्धियाँ पाने की थी लालसा ,
मगर डूब गया तन्हाई की गर्तो में !
बँधे हुए हैं हाथ भी मेरे  ,
वरना धड़कनो को भी देता बंद कर तो मैं !
साँसें हैं बेशक पास में मेरे ,
मगर जी रहा हूँ जीवन की कुछ शर्तों में !
ना भरने वाला घाव मिला है ,
जिंदगी में अब उससे बिछड़कर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !!

क्यों ना आई वो पास में मेरे ,
ना जाने वो कहाँ चली गयी !
किससे पता करूँ मैं ये ,
खुश भी है वो या कही छली गयी !
ऐसी क्या उसकी मजबूरी थी ,
कि बिन कहे वो चली गयी !
मैं परेशन हूँ फिकर में उसकी ,
कम से कम जाती मुझे बताकर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !!

कैसे रोक लूँ अपने आंशू ,
कैसे जज्बातों को थाम लूँ मैं !
तन्हाई के इस आलम में ,
कैसे धैर्य से काम लूँ मैं !
जिसमें उसका चेहरा दिखता ,
कैसे पी वो जाम लूँ मैं !
उसकी भी कोई तो मजबूरी होगी ,
वरना क्या मिलेगा उसे मुझे सताकर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !!

जीवन जीने की एक राह मिली थी ,
पल भर उससे भटक गया !
जो सज़ा था ख्वाब दिल में  मेरे ,
वो भी अधर में लटक गया !
सारे जीवन का मकसद ,
उससे बिछड़ कर कहीं झटक गया !
प्यासा ही रह गया हूँ मैं तो ,
जैसे कुँए पर भी खुद जाकर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !!

कैसे बदलता भाग्य भी पल पल ,
अब मैं ये भी समझ गया हूँ. !
जीवन की राहों पर चलते चलते ,
उससे बिछड़ कर मैं रुक गया हूँ !
अब ना हिम्मत आगे बढ़ने की ,
उससे बिछड़ कर मैं थक गया हूँ !
ना जाने वो क्यों भूल गयी ,
अपना एहसास मुझको कराकर !
जिंदगी की ये राह भी मेरी ,
ना जाने थमेगी कहाँ पर जाकर !! 

===हेमन्त चौहान===

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