Monday, December 5, 2011

मन दुखता सा मेरा हर पल , Man Dukhta Sa Mera Har Pal


Hemant Chauhan

Hindi Kavita



डूबा रहता यादों में उसकी ,
मिला हूँ जैसे सागर तल से !
खुद से ही अनजान के जैसा ,
आज्ञान रहा मैं हर हलचल से !
पर्वत सी विशाल मेरी आशाएं ,
छोटी हो गयीं तिनके जैसी !
मन दुखता सा मेरा हर पल ,
बिछड़ा मैं उससे जिस पल से !१!

मेरे जीवन की भी चेतना ,
अचेतन हो गयी हो जैसे !
मेरे मन को तो लगता ऐसे ,
मुझको भूल वो गयी हो जैसे !
दुख से पीड़ित से, मेरे जीवन में ,
ना मिलती खुशी किसी पल से !
मन दुखता  सा मेरा हर पल ,
बिछड़ा मैं उससे जिस पल से !२!

मेरे आशावाद भरे जीवन मैं ,
निराशाओं का सा अंधकार हुआ !
हल्के हल्के से मेरे मन पर ,
पर्वत के जैसा कोई भार हुआ !
मैं तो छला गया हूँ जैसे ,
खुद की मोहब्बत के छल से !
मन दुखता सा मेरा हर पल ,
बिछड़ा मैं उससे जिस पल से !३!

बीतता साथ कभी था हमारा ,
मगर अब हमारे बीच मे दूरी है !
समझ तो रहा मैं भी उसको ,
उसकी भी कोई तो मजबूरी है !
सिकायत भी नही है मेरी कोई ,
उसके साथ बीते किसी पल से !
मन दुखता सा मेरा हर पल ,
बिछड़ा मैं उससे जिस पल से !४!

बैठा था कभी साथ मैं उसके ,
याद कर रहा उस सुहाने पल को !
पैर भी डुबोय थे बैठकर किनारे ,
देख रहा उस बहते जल को !
मुस्कान ढूँडने की कोशिश करता ,
बहती नदी की कल कल से !
मन दुखता सा मेरा हर पल ,
बिछड़ा मैं उससे जिस पल से !५!

तनहाई की पीर भी तो मेरी ,
किसी सागर के ही तो जैसी है !
कोई भी तो नही बताता मुझको ,
वो खुश भी है या कैसी है !
खुश रखना सदा ही उसको ,
गुज़ारिस करता मैं तो हर पल से !
मन दुखता सा मेरा हर पल ,
बिछड़ा मैं उससे जिस पल से !६!

मैं दिखाऊंगा नफ़रत ही उसको ,
मिल भी गया उसको कभी !
ये देख वो भी नफ़रत करेगी ,
मुझको तो वो भूल पाएगी तभी !
वो बल तो नही है मेरे अंदर ,
भुला सकूँ उसको जिस बल से !
मन दुखता सा मेरा हर पल ,
बिछड़ा मैं उससे जिस पल से !७!

===हेमन्त चौहान===

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